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Thursday, April 3, 2014

पिताजी आज भी पैसे बचाते हैं...

पिताजी आज भी पैसे बचाते हैं...
पुरानी पेंट रफू करा कर पहनते जाते है, ब्रांडेड नई शर्ट देने पे आँखे दिखाते है, पिताजी आज भी पैसे बचाते है...

टूटे चश्मे से ही अख़बार पढने का लुत्फ़ उठाते है, टोपाज के ब्लेड से दाढ़ी बनाते है, पिताजी आज भी पैसे बचाते है…

कपड़े का पुराना थैला लिये दूर की मंडी तक जाते है, बहुत मोल-भाव करके फल-सब्जी लाते है, आटा नहीं खरीदते गेहूँ पिसवाते है, पिताजी आज भी पैसे बचाते है…

स्टेशन से घर पैदल ही आते हैं, रिक्शा लेने से कतराते हैं, सेहत का हवाला देते जाते हैं, बढती महंगाई पे चिंता जताते हैं, पिताजी आज भी पैसे बचाते हैं...

पूरी गर्मी पंखे में बिताते हैं, सर्दियां आने पर रजाई में दुबक जाते हैं, एसी/हीटर को सेहत का दुश्मन बताते हैं, लाइट खुली छूटने पे नाराज हो जाते हैं, पिताजी आज भी पैसे बचाते हैं...


माँ के हाथ के खाने में रमते जाते हैं, बाहर खाने
 में आनाकानी मचाते हैं, साफ़-सफाई का हवाला देते जाते हैं, मिर्च, मसाले और तेल से घबराते हैं, पिताजी आज भी पैसे बचाते हैं…

गुजरे कल के किस्से सुनाते हैं, कैसे ये सब जोड़ा गर्व से बताते हैं, पुराने दिनों की याद दिलाते हैं, बचत की अहमियत समझाते हैं,
हमारी हर मांग आज भी, फ़ौरन पूरी करते जाते हैं, पिताजी हमारे लिए ही पैसे बचाते हैं..

Friday, October 18, 2013

एक समय था जबकि संपूर्ण धरती पर सिर्फ हिंदू थे।

एक समय था जबकि संपूर्ण धरती पर सिर्फ हिंदू थे। मैक्सिको में एक खुदाई के दौरान गणेश और लक्ष्मी की प्राचीन मूर्तियां पाई गईं। अफ्रीका में 6 हजार वर्ष पुराना एक शिव मंदिर पाया गया और चीन, इंडोनेशिया, मलेशिया, लाओस, जापान में हजारों वर्ष पूरानी विष्णु, राम और हनुमान की प्रतिमाएं मिलना इस बात के सबूत हैं कि हिंदू धर्म संपूर्ण धरती पर था।

'मैक्सिको' शब्द संस्कृत के 'मक्षिका' शब्द से आता है और मैक्सिको में ऐसे हजारों प्रमाण मिलते हैं जिनसे यह सिद्ध होता है। जीसस क्राइस्ट्स से बहुत पहले वहां पर हिंदू धर्म प्रचलित था- कोलंबस तो बहुत बाद में आया। सच तो यह है कि अमेरिका, विशेषकर दक्षिण-अमेरिका एक ऐसे महाद्वीप का हिस्सा था जिसमें अफ्रीका भी सम्मिलित था। भारत ठीक मध्य में था।

अफ्रीका नीचे था और अमेरिका ऊपर था। वे एक बहुत ही उथले सागर से विभक्त थे। तुम उसे पैदल चलकर पार कर सकते थे। पुराने भारतीय शास्त्रों में इसके उल्लेख हैं। वे कहते हैं कि लोग एशिया से अमेरिका पैदल ही चले जाते थे।

यहां तक कि शादियां भी होती थीं। कृष्ण के प्रमुख शिष्य और महाभारत के प्रसिद्ध योद्धा अर्जुन ने मैक्सिको की एक लड़की से शादी की थी। निश्चित ही वे मैक्सिको को मक्षिका कहते थे। लेकिन उसका वर्णन बिलकुल मैक्सिको जैसा ही है।

मैक्सिको में हिंदुओं के देवता गणेश की मूर्तियां हैं, दूसरी ओर इंग्लैंड में गणेश की मूर्ति का मिलना असंभव है।

कहीं भी मिलना असंभव है, जब तक कि वह देश हिंदू धर्म के संपर्क में न आया हो, जैसे सुमात्रा, बाली और मैक्सिको में संभव है, लेकिन और कहीं नहीं, जब तक वहां हिंदू धर्म न रहा हो। मैं जो यह कुछ उल्लेख कर रहा हूं, अगर तुम इसके बारे में और अधिक जानकारी पाना चाहते हो तो तुम्हें भिक्षु चमन लाल की पुस्तक ‘हिंदू अमेरिका’ देखनी पड़ेगी, जो कि उनके जीवनभर का शोधकार्य है।

Thursday, September 1, 2011

गणपति बप्पा मोरया की धूम रहेगी दस दिनों तक

एक बरस का इंतजार पूरा हुआ और जल्द ही धूम मच जाएगी सालाना गणेशोत्सवकी। पौराणिक मान्यता है कि दस दिवसीय इस उत्सव के दौरान भगवान शिव और पार्वती के पुत्र गणेश पृथ्वी पर रहते हैं।

शास्त्रों में दिलचस्पी रखने वाले आचार्य आख्यानंदकहते हैं कि भगवान गणेश को विघ्नहर्ताकहा जाता है। उन्हें बुद्धि, समृद्धि और वैभव का देवता मान कर उनकी पूजा की जाती है।

गणेशोत्सवकी शुरूआत हिंदू कैलेंडर के अनुसार, भादों माह में शुक्ल चतुर्थी से होती है। इस दिन को गणेश चतुर्थी कहा जाता है। दस दिन तक गणपति पूजा के बाद आती है अनंत चतुर्दशी जिस दिन यह उत्सव समाप्त होता है। पूरे भारत में गणेशोत्सवधूमधाम से मनाया जाता है।

गणपति उत्सव का इतिहास वैसे तो काफी पुराना है लेकिन इस सालाना घरेलू उत्सव को एक विशाल, संगठित सार्वजनिक आयोजन में तब्दील करने का श्रेय स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक लोकमान्य तिलक को जाता है।

इतिहास के सेवानिवृत्तप्राध्यापक प्रो यू जी गुप्ता ने बताया सन 1893में तिलक ने ब्राह्मणोंऔर गैर ब्राह्मणोंके बीच की दूरी खत्म करने के लिए ऐलान किया कि गणेश भगवान सभी के देवता हैं। इसी उद्देश्य से उन्होंने गणेशोत्सवके सार्वजनिक आयोजन किए और देखते ही देखते महाराष्ट्र में हुई यह शुरूआत देश भर में फैल गई। यह प्रयास एकता की एक मिसाल साबित हुआ। प्रो गुप्ता ने कहा कि एकता का यह शंखनाद महाराष्ट्र वासियों को ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ एकजुट करने में बेहद कारगर साबित हुआ। तिलक ने ही मंडपों में गणेश की बडी प्रतिमाओं की स्थापना को प्रोत्साहन दिया। गणेश चतुर्थी के दसवें दिन गणेश विसर्जन की परंपरा भी उन्होंने शुरू की।

इतिहास में गहरी दिलचस्पी रखने वाली प्रो अमियागांगुली ने बताया अंग्रेज हमेशा सामाजिक और राजनीतिक आयोजनों के खिलाफ रहते थे। लेकिन गणेशोत्सवके दौरान हर वर्ग के लोग एकत्रित होते और तरह तरह की योजनाएं बनाई जातीं। स्वतंत्रता की अलख जगाने में इस उत्सव ने अहम भूमिका निभाई।

गणेशोत्सवका सिलसिला अभी भी जारी है और इसकी तैयारियां महीनों पहले से शुरू हो जाती हैं। मूर्तिकार जहां विघ्नहर्ताकी आकर्षक मूर्तियां बनाते हैं, वहीं आयोजक चंदा एकत्र कर मंडप स्थापित करते हैं। मूर्तियों का आकार और उनकी कीमत दिनों दिन बढती गई और साथ ही बढता गया इस उत्सव के प्रति लोगों का उत्साह।

पंडित आख्यानंदकहते हैं रोशनी, तरह तरह की झांकियों, फूल मालाओं से सजे मंडप में गणेश चतुर्थी के दिन पूजा अर्चना, मंत्रोच्चारके बाद गणपति स्थापना होती है। यह रस्म षोडशोपचारकहलाती है। भगवान को फूल और दूब चढाए जाते हैं तथा नारियल, खांड,21मोदक का भोग लगाया जाता है। दस दिन तक गणपति विराजमान रहते हैं और हर दिन सुबह शाम षोडशोपचारकी रस्म होती है। 11वेंदिन पूजा के बाद प्रतिमा को विसर्जन के लिए ले जाया जाता है। कई जगहों पर तीसरे, पांचवेया सातवें दिन गणेश विसर्जन किया जाता है।

Monday, June 6, 2011

Baba Ramdev sleeps on a stage as he continues his protest in Haridwar

India is a country on the go; at any given moment in time, there is much happening in the fields of politics and governance, of finance, of development; there is constant churning in society, considerable activity in sports and in the arts... It's almost too much to keep track of. And hence, this effort: a real-time, constantly updated look at the events that matter. Refresh this page for latest updates
Congress general secretary Digvijay Singh's residence was pelted with stones by some unidentified people who also shouted slogans in favour of yoga guru Baba Ramdev, police said on Monday.

Digvijay Singh, who has twice been Madhya Pradesh chief minister, owns a bungalow here in Shyamla Hills, but when the incident took place late Sunday, no one from his family was present except a few guards.



Friday, May 27, 2011

सीख बुद्ध की

जीवन तभी बदलता है, जब उसके लिए प्रयास किए जाएं। यह बात कैसे समझाई गौतम बुद्ध ने अपने शिष्य को.. देश भ्रमण करते हुए एक बार भगवान बुद्ध ने एक नदी के तट पर डेरा डाला। बुद्ध जीवन के विभिन्न आयामों पर रोज व्याख्यान देने लगे, जिन्हें सुनने दूर-दूर के गांव के लोग आने लगे। बुद्ध के प्रवचनों में प्रवाह था, तत्व ज्ञान था तथा जीवन का सार छिपा हुआ था। उनकी वाणी से श्रोता मंत्रमुग्ध हो जाते थे।

तथागत के भक्तों में समीप के गांव का एक निवासी भी था। वह बिना नागा उनके व्याख्यान सुनता था। यह क्रम महीनों तक चलता रहा। परंतु उस व्यक्ति ने अपने अंदर कोई बदलाव नहीं पाया। वह बहुत निराश हो गया। एक दिन प्रवचन के बाद जब सब लोग चले गए, तो वह व्यक्ति बुद्ध के पास जाकर बोला-भगवन, मैं लंबे समय से लोभ इत्यादि छोड कर अच्छा इंसान बनने के आपके प्रवचन सुनता आया हूं। उन्हें सुनकर मैं उत्साह से भर जाता हूं। परंतु इन बातों से मुझमें बदलाव नहीं आ रहा है।

उसकी बातें सुनकर बुद्ध मुस्कुराए। उन्होंने स्नेह से उस व्यक्ति के सिर पर हाथ फेरा और बोले वत्स, तुम कौन से गांव से आए हो उसने जवाब दिया, भगवन, मैं पिपली गांव से आया हूं। बुद्ध ने फिर पूछा, यह गांव इस स्थान से कितनी दूर है? उसने कहा, करीब दस कोस। बुद्ध ने पुन: प्रश्न किया, तुम यहां से अपने गांव कैसे जाते हो? वह व्यक्ति बोला-गुरुदेव, मैं पैदल ही जाता हूं, परंतु आप ऐसा क्यों पूछ रहे हैं? बुद्ध ने उसकी बातों को अनसुना कर फिर पूछा-क्या ऐसा संभव है कि तुम यहां बैठे-बैठे अपने गांव पहुंच जाओ? उस व्यक्ति ने झुंझलाकर उत्तर दिया ऐसा तो बिल्कुल भी संभव नहीं है। वहां पहुंचने के लिए मुझे पैदल चलकर जाना ही होगा।

बुद्ध ने कहा, तुम्हें तुम्हारे प्रश्न का उत्तर मिल गया होगा। यदि तुम्हें अपने गांव का रास्ता पता है, उसकी जानकारी भी है, परंतु इस जानकारी को व्यवहार में लाए बिना, प्रयत्न किए बिना, पैदल चले बिना तुम वहां नहीं पहुंच सकते। उसी प्रकार यदि तुम्हारे पास ज्ञान है और तुम इसको अपने जीवन में अमल में नहीं लाते हो, तो तुम अपने आप को बेहतर इंसान नहीं बना सकते। ज्ञान को व्यवहार में लाना आवश्यक है। इसके लिए तुम्हें स्वयं दृढ निश्चय के साथ निरंतर प्रयास करने होंगे तथा सीखी गई बातों को जीवन की विभिन्न स्थितियों में निरंतरता के साथ प्रयोग में लाना होगा, वास्तव में तभी तुम अपने जीवन में परिवर्तन महसूस कर सकते हो। उसे बुद्ध की बात अच्छी तरह से समझ में आ गई।

Thursday, April 21, 2011

अमरनाथ यात्रा दो माह की करने की मांग

जम्मू। श्री बाबा अमरनाथ यात्रा की अवधि में कटौती के खिलाफ हस्ताक्षर अभियान चलाने के बाद श्री अमरनाथ और बाबा बुड्ढा अमरनाथ यात्रा न्यास ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में न्यास ने राज्यपाल से यात्रा अवधि दो माह करने का आग्रह किया है। ज्ञापन में एक लाख लोगों के हस्ताक्षर हैं। राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन उनके प्रमुख सचिव को सौंपा गया।

ज्ञापन में कहा गया है कि यात्रा में कटौती नहीं की जानी चाहिए। यात्रा पारंपरिक तौर पर ज्येष्ठ पूर्णिमा पर ही शुरू होती है, लेकिन इस बार पंद्रह दिन देरी से शुरू की जा रही है। 29जून से शुरू हो रही यात्रा डेढ महीने की रह गई है।

Sunday, January 23, 2011

नाम से सर्वपाप-नाश

पापानलस्य दीप्तस्य मा कुर्वन्तु भयं नरा:। गोविन्दनाममेघौघैर्नश्यते नीरबिन्दुभि:॥

लोग प्रज्वलित पापागिन् से भय न करें; क्योंकि वह गोविन्दनामरूपी मेघसमूहों के जल-बिन्दुओं से नष्ट हो जाती है।

अवशेनापि यन्नामिन् कीर्तिते सर्वपातकै:। पुमान् विमुच्यते सद्य: सिंहत्रस्तैमर्ृगैरिव॥

विवश होकर भी भगवान् के नाम का कीर्तन करने पर मनुष्य समस्त पातकों से उसी प्रकार मुक्त हो जाता है, जैसे सिंह से डरे हुए भेडिये अपने शिकार को छोडकर भाग जाते हैं।

यन्नामकीर्तनं भक्त्या विलापनमनुत्तमम्। मैत्रेयाशेषपापानां धातूनामिव पावक:॥

हे मैत्रेय! भक्तिपूर्वक किया गया भगवन्नाम-कीर्तन उसी प्रकार समस्त पापों को विलीन कर देनेवाला सर्वोत्तम साधन है, जैसे धातुओं की सारे मैल को जला डालने के लिये आग।

सायं प्रातस्तथा कृत्वा देवदेवस्य कीर्तनम्। सर्वपापविनिर्मुक्त : स्वर्गलोके महीयते॥

मनुष्य सायं और प्रात:काल देवाधिदेव श्रीहरि का कीर्तन करके सम्पूर्ण पापों से मुक्त हो स्वर्गलोक में सम्मानित होता है।

नारायणो नाम नरो नराणां प्रसिद्धचौर: कथित: पृथिव्याम्।

अनेकजनमार्जितपापसंचयं हरत्यशेषं श्रुतमात्र एव॥

(वामनपुराण)

इस पृथ्वी पर नारायण नामक एक नर (व्यक्ति ) प्रसिद्ध चोर बताया गया है, जिसका नाम एवं यश कर्ण-कुहरों में प्रवेश करते ही मनुष्यों की अनेक जन्मों की कमायी हुई समस्त पापराशि को हर लेता है।

गोविन्देति तथा प्रोक्तं भक्त्या वा भक्तिवर्जितै:। दहते सर्वपापानि युगान्तागिन्रिवोत्थित:॥

(स्कन्दपुराण)

मनुष्य भक्तिभाव से या भक्तिरहित होकर यदि गोविन्दनाम का उच्चरण कर ले तो वह नाम सम्पूर्ण पापों को उसी प्रकार दग्ध कर देता है, जैसे युगान्तकाल में प्रज्वलित हुई प्रलयागिन् सारे जगत् को जला डालती है।

गोविन्दनामन य: कश्चिन्नरो भवति भूतले। कीर्तनादेव तस्यापि पापं याति सहस्त्रधा॥

भूतल पर जो कोई भी मनुष्य गोविन्द नाम से प्रसिद्ध होता है, उसके भी उस नाम का कीर्तन करने से ही पाप के सहस्त्रों टुकडे हो जाते हैं।

प्रमादादपि संस्पृष्टो यथानलकणो दहेत्। तथौष्ठपुटसंस्पृष्टं हरिनाम दहेदघम्॥

जैसे असावधानी से भी छू ली गयी आग की कणिका उस अङ्ग को जला देती है, उसी प्रकार यदि हरिनाम का ओष्ठपुट से स्पर्श हो जाय तो वह पाप को जलाकर भस्म कर देता है।

अनिच्छयापि दहति स्पृष्टो हुतवहो यथा। तथा दहति गोविन्दनाम व्याजादपीरितम्॥

(पद्मपुराण)

जैसे अनिच्छा से भी स्पर्श कर लेने पर आग शरीर को जला देती है उसी प्रकार किसी बहाने से भी लिया गया गोविन्दनाम पाप को दग्ध कर देता है।

नराणां विषयान्धानां ममताकुलचेतसाम्। एकमेव हरेर्नाम सर्वपापविनाशनम्॥

(बृहन्नारदीय)

ममता से व्याकुल-चित्त हुए विषयान्ध मनुष्यों के समस्त पापों का नाश करने वाला एकमात्र हरिनाम ही है।

कीर्तनादेव कृष्णस्य विष्णोरमिततेजस:। दुरितानि विलीयन्ते समांसीव दिनोदये॥

(पद्मपुराण)

अमित तेजस्वी सर्वव्यापी भगवान् श्रीकृष्ण के कीर्तनमात्र से समस्त पाप उसी तरह विलीन हो जाते हैं, जैसे दिन निकल आने पर अन्धकार।

सांकेत्यं पारिहास्यं वा स्तोभं हेलनमेव वा। वैकुण्ठनामग्रहणमशेषाघहरं विदु:॥

(श्रीमद्भागवत)

संकेत, परिहास, स्तोभ या अनादरपूर्वक भी किया हुआ भगवान् विष्णु के नामों का कीर्तन सम्पूर्ण पापों का नाशक है- ऐसा महात्मा लोग जानते हैं।

अज्ञानादथवा ज्ञानादुत्तमश्लोकनाम यत्। संकीर्तितमघं पुंसो दहेदेधो यथानल:॥

जैसे अगिन् लकडी को जला देती है, उसी प्रकार जानेअनजाने लिया गया भगवान् पुण्यश्लोक का नाम पुरुष की पापराशि को भस्म कर देता है।

नामनेऽस्य यावती शक्ति : पापनिर्हरणे हरे:। तावत्कर्तु न शकनेति पातकं पातकी जन:॥

(बृहद्विष्णुपुराण)

श्रीहरि के इस नाम में पापनाश करने की जितनी शक्ति है, उतना पातक पातकी मनुष्य अपेन जीवन में कर ही नहीं सकता।

श्वादोऽपि नहि शकनेति कर्तु पापानि मानत:। तावन्ति यावती शक्तिर्विष्णुनामनेऽशुभक्षये॥

भगवान् विष्णु के नाम में पापक्षय करने की जितनी शक्ति विद्यमान है, माप-तोल में उतने पाप कुक्कुरभोजी चाण्डाल भी नहीं कर सकता।