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Thursday, September 1, 2011

गणपति बप्पा मोरया की धूम रहेगी दस दिनों तक

एक बरस का इंतजार पूरा हुआ और जल्द ही धूम मच जाएगी सालाना गणेशोत्सवकी। पौराणिक मान्यता है कि दस दिवसीय इस उत्सव के दौरान भगवान शिव और पार्वती के पुत्र गणेश पृथ्वी पर रहते हैं।

शास्त्रों में दिलचस्पी रखने वाले आचार्य आख्यानंदकहते हैं कि भगवान गणेश को विघ्नहर्ताकहा जाता है। उन्हें बुद्धि, समृद्धि और वैभव का देवता मान कर उनकी पूजा की जाती है।

गणेशोत्सवकी शुरूआत हिंदू कैलेंडर के अनुसार, भादों माह में शुक्ल चतुर्थी से होती है। इस दिन को गणेश चतुर्थी कहा जाता है। दस दिन तक गणपति पूजा के बाद आती है अनंत चतुर्दशी जिस दिन यह उत्सव समाप्त होता है। पूरे भारत में गणेशोत्सवधूमधाम से मनाया जाता है।

गणपति उत्सव का इतिहास वैसे तो काफी पुराना है लेकिन इस सालाना घरेलू उत्सव को एक विशाल, संगठित सार्वजनिक आयोजन में तब्दील करने का श्रेय स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक लोकमान्य तिलक को जाता है।

इतिहास के सेवानिवृत्तप्राध्यापक प्रो यू जी गुप्ता ने बताया सन 1893में तिलक ने ब्राह्मणोंऔर गैर ब्राह्मणोंके बीच की दूरी खत्म करने के लिए ऐलान किया कि गणेश भगवान सभी के देवता हैं। इसी उद्देश्य से उन्होंने गणेशोत्सवके सार्वजनिक आयोजन किए और देखते ही देखते महाराष्ट्र में हुई यह शुरूआत देश भर में फैल गई। यह प्रयास एकता की एक मिसाल साबित हुआ। प्रो गुप्ता ने कहा कि एकता का यह शंखनाद महाराष्ट्र वासियों को ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ एकजुट करने में बेहद कारगर साबित हुआ। तिलक ने ही मंडपों में गणेश की बडी प्रतिमाओं की स्थापना को प्रोत्साहन दिया। गणेश चतुर्थी के दसवें दिन गणेश विसर्जन की परंपरा भी उन्होंने शुरू की।

इतिहास में गहरी दिलचस्पी रखने वाली प्रो अमियागांगुली ने बताया अंग्रेज हमेशा सामाजिक और राजनीतिक आयोजनों के खिलाफ रहते थे। लेकिन गणेशोत्सवके दौरान हर वर्ग के लोग एकत्रित होते और तरह तरह की योजनाएं बनाई जातीं। स्वतंत्रता की अलख जगाने में इस उत्सव ने अहम भूमिका निभाई।

गणेशोत्सवका सिलसिला अभी भी जारी है और इसकी तैयारियां महीनों पहले से शुरू हो जाती हैं। मूर्तिकार जहां विघ्नहर्ताकी आकर्षक मूर्तियां बनाते हैं, वहीं आयोजक चंदा एकत्र कर मंडप स्थापित करते हैं। मूर्तियों का आकार और उनकी कीमत दिनों दिन बढती गई और साथ ही बढता गया इस उत्सव के प्रति लोगों का उत्साह।

पंडित आख्यानंदकहते हैं रोशनी, तरह तरह की झांकियों, फूल मालाओं से सजे मंडप में गणेश चतुर्थी के दिन पूजा अर्चना, मंत्रोच्चारके बाद गणपति स्थापना होती है। यह रस्म षोडशोपचारकहलाती है। भगवान को फूल और दूब चढाए जाते हैं तथा नारियल, खांड,21मोदक का भोग लगाया जाता है। दस दिन तक गणपति विराजमान रहते हैं और हर दिन सुबह शाम षोडशोपचारकी रस्म होती है। 11वेंदिन पूजा के बाद प्रतिमा को विसर्जन के लिए ले जाया जाता है। कई जगहों पर तीसरे, पांचवेया सातवें दिन गणेश विसर्जन किया जाता है।

2 comments:

  1. Very Nics..............

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  2. it's very scintillating and fascinating ur blog...thanx for this post dear..."JAY GANESH"

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